Kalah Pass Trek | मणिमहेश कैलाश यात्रा वाया कलाह जोत (2017) | भाग- II
मणिमहेश कैलाश यात्रा वाया कलाह जोत जारी है। भाग 1 से आगे -
तभी एक आवाज़ सुनाई पड़ती है, "मैंने आपको शायद कहीं देखा है।"
पीछे मुड़ने पर देखता हूँ कि 33-34 साल के एक सज्जन मुझे बड़े गौर से एकटक देख रहे हैं। जैसे पहचानने की पुरजोर कोशिश कर रहे हों।
मुझे भी शक्ल जानी पहचानी लगती है। तभी कैसेट 15 महीने पीछे घूमती है और मैं पूछता हूँ, "क्या आप सोनू भाई हैं?"
जबाब हां में मिलता है।
ये 2016 में जालसू जोत की यात्रा में मिले सोनू भाई हैं जिनसे किसी कारणवश फ़ोन नम्बर और पता लेना सम्भव नहीं हुआ था। जिस यात्रा में हर साल औसतन दस लाख लोग जाते हों उसमें किसी बिछड़े का मिलना मात्र एक संयोग नहीं हो सकता। इसे छोटे मोटे चमत्कार की कैटेगरी में रखा जा सकता है।
जेलखड्ड के वाटरफॉल के पास हमारा भरत मिलाप होता है। हरियाणा से आए उनके एक मित्र साथ हैं। उनकी धर्मपत्नी और बहन पहले ही सुखडली पहुंच चुकी हैं। इन सबकी टोली आज सुखडली में ही रुकेगी।
सुखडली में पंचायत सभा चल रही है। रात को रुकने की समस्या पर चिंतन हो रहा है। बंदोबस्त सिर्फ 8-10 लोगों का है लेकिन ठहरने वाले लोग ज़्यादा हैं। दो लोकल औरतें हमारे साथ जोत पार कर के डल तक जाने के लिए तैयार हैं।
सुखडली से जोत तक की कमरतोड़ चढ़ाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरी चढ़ाई में हमने सिर्फ एक फ़ोटो लिया है और उस 1 फ़ोटो को लेने के लिए भी नितिन 50 मिन्नतों के बाद हामी भरता है।
जोत पर भयानक धुंध पड़ी है। विज़िबिलिटी मुश्किल से 50 मीटर तक होगी। बारिश किसी भी समय शुरू हो सकती है। इसलिए जोत से कुजा पीक और मणिमहेश कैलाश के दर्शन किए बिना डल की तरफ़ उतरना शुरू करते हैं। सिर्फ़ यही 1 कॉलम है जो इस यात्रा में मार्क करना अधूरा रह गया। फिर कभी ज़रूर...
कोई पंजाब से आया छिन्दा आधी रात को गायब हो गया है जिसको ढूंढने के लिए हर 5 मिनट में अनाउंसमेंट हो रही है।
सुबह एक 'यंग बॉय' बीड़ी में असला भरते हुए मुझसे इन्क्वायरी करता है कि ये जो ट्रैकिंग वाला बैग है इसको खरीदने पर साथ में स्लीपिंग बैग, स्लीपिंग मैट, रेन-कवर भी फ्री मिलता है क्या?
अब समय है यात्रा के सबसे कठिन पड़ाव का- डुबकी लगाने का। 2013 में पहली बार स्नान करने पर मेरा स्कोर 3 बाल्टी फेंकने का था। दूसरी बार भी स्कोर 3 ही रहा। लेकिन बाल्टी की जगह मग ने ले ली।
इस बार पिछला रिकॉर्ड तोड़ने के मकसद के दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ झील में उतरता हूँ। लेकिन जब 13390 फ़ीट की ऊंचाई पर ग्लेशियर के पानी की झील के छींटे ऊपर पड़ते हैं तो सारी इच्छाशक्ति और प्लानिंग धरी की धरी रह जाती है।
मेरे मणिमहेश स्नान की परफॉर्मेंस और कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर की राजनीति में एक बड़ी विचित्र समानता है। दोनों ही दिन प्रतिदिन नीची गिरती जा रही हैं।
पिछली बार के स्नान काविवादास्पद हास्यास्पद वीडियो नीचे देखा जा सकता है।
(नोट- कृपया जज न करें )
पंजाब वाला छिन्दा अभी तक लापता है। सुबह के 10 बजे भी अनाउंसमेंट जारी है। हम गौरीकुंड के लिए उतरना शुरू करते हैं।
एक दोस्त हुआ करते थे सन्दीप ठाकुर। गज़ब आदमी थे। एक सड़क दुर्घटना में दाएं पैर की हड्डी के टूट कर 40 टुकड़े हो गए। यहां तक कि पैर काटने तक की नौबत आ पड़ी। पैर तो कटवाया नहीं बल्कि उसी पैर के साथ 2 बार श्रीखंड महादेव की यात्रा पर निकल गए। उसके बाद हमारे साथ मणिमहेश कैलाश की यात्रा की। उस हालत में भी चाल नहीं घुड़दौड़ हुआ करती थी।
किसी कारणवश तब कमल-कुण्ड जाना नहीं हो पाया। अगली बार साथ में जाने का वादा किया था जो पूरा नहीं हो सका। 2 साल पहले एक दुर्घटना में वो हमारे बीच नहीं रहे। उनसे किया वादा निभाने के मकसद से इस बार कमलकुण्ड जाना हुआ।
रास्ते में शिव करोत्र पड़ता है। दूर से देखने पर बुद्धिस्ट मोनस्ट्रीज के जैसे रंग बिरंगे लाल पीले झण्डे लगे दिखाई देते हैं। पास पहुँचने पर पता चलता है कि जिसे हम झण्डे समझ रहे थे वो कच्छे हैं जो 'सभ्य लोग' स्मृति चिन्ह के रूप में यहीं छोड़ गए हैं।
पास ही में एक पंजाबी बॉय खड़ा है जिसका बर्फ देख कर रणबीर कपूर मोड ऑन हो जाता है। वो बार बार बोल रहा है, चलो कार्तिक कुण्ड/ गणेश कुण्ड/ गणेश ग्लेशियर चलते हैं बर्फ खेलेंगे, बर्फ में फोटू लेंगे। जाना कहाँ है ये खुद उसे नहीं पता लेकिनओवर कॉन्फिडेंस माशाअल्लाह इजराइल को 12 मिनट में खत्म करने की धमकी देने वाले पाकिस्तानी जनरल की टक्कर का है।
मैं कहता हूं भाई तुम जा के एन्जॉय करो हम नीचे पहुंच के पुलिस पैट्रॉल पार्टी भेजने का बंदोबस्त करते हैं। हो सकता है दूर से बुलानी पड़े।
धन्छो से पीछे जाम लगा है। आज से पहले सिर्फ गाड़ियों का जाम देखा था। आदमियों का जाम पहली बार देखने को मिलता है। ट्रेल पर 6 लेन ट्रैफिक है। 2-2 लेन यात्रियों और घोड़ों के लिए और बाकि 2 घोड़े वालों के लिए।
पहले भोले बाबा का बुलावा आता था। आजकल पहाड़ बुलाते हैं। 'माउंटेन्स आर कॉलिंग एंड आई मस्ट गो' का वायरस निपाह वायरस से 100 गुना खतरनाक है ऐसा मेरा मानना है। त्रिउंड और खीरगंगा की दुर्दशा देख कर इस बात की पुष्टि की जा सकती है। धीरे-धीरे करेरी झील भी इस वायरस की चपेट में आ रही है।
प्रशासन ने घोड़े के किराए की लिस्ट तैयार की है। बकायदा रेजिस्ट्रेशन नम्बर के साथ आइडेंटिटी कार्ड दिए गए हैं। बावजूद इसके घोड़े वालों ने अलग से जीएसटी लगा रखा है जिसके बाद घोड़े और हेलीकॉप्टर के किराए में 100-200 रुपए का ही फर्क रह जाता है।
हड़सर में गाड़ियों का जाम लगा है। इस जाम से हम भली भांति परिचित हैं। यात्रा खत्म होने के बाद जल्दी से जल्दी घर पहुँचने के सिद्धांत पर अमल किया जाता है। 7 किलोमीटर आगे चलने पर टैक्सी मिलती है।
भरमौर बाज़ार में एक जीजा और साला आवाज़ लगा रहे हैं, चम्बा के लिए 100 रुपए आ जाओ आ जाओ। कैब 10 सीटर है लेकिन उसमें 14 लोग भरे दिए गए हैं। अभी 2 और को कैसे घुसेड़ के फिट करें उसके लिए विज्ञान के नायाब सिद्धान्त इम्प्लीमेंट किए जा रहे हैं।
रात के 12 बजे राख गांव में ड्राइवर ढाबे के बाहर रॉंग साइड पर गाड़ी लगा के रास्ता ब्लॉक कर के चल देता है। ड्राइवर अपने साले के साथ बियर पीने बैठ गया है जिसे देख के बाकि यात्रियों के प्राण सूख जाते हैं।
हम खाना खा ही रहे होते हैं कि बाहर से एचआरटीसी बस का ड्राइवर आ कर कैब के ड्राइवर की सड़क पर धुनाई करता है। 5 लोग ड्राइवर को पकड़ रहे हैं। साला अपने जीजे को बचाने की कोशिश कर रहा है। बीच सड़क में ड्राइवर का जलूस निकल रहा है और हम तमाशा देख रहे हैं।
ढिस्स परेड खत्म होने के बाद सारे रास्ते उसका साला 25 लोगों को फ़ोन लगा के ड्राइवर को खड़ामुख से आगे ज़िंदा न पहुँचने देने का फ़तवा जारी कर चुका है।
चम्बा पहुंचने पर हम 200 रुपए किराया देते हैं। साला कहता है भाई 200 एक सवारी के हैं। 200 और लगेंगे।
यात्रा सम्पन्न होती है।
उम्मीद है पंजाब के आया छिन्दा सकुशल अपने साथियों को मिल गया होगा।
तभी एक आवाज़ सुनाई पड़ती है, "मैंने आपको शायद कहीं देखा है।"
पीछे मुड़ने पर देखता हूँ कि 33-34 साल के एक सज्जन मुझे बड़े गौर से एकटक देख रहे हैं। जैसे पहचानने की पुरजोर कोशिश कर रहे हों।
मुझे भी शक्ल जानी पहचानी लगती है। तभी कैसेट 15 महीने पीछे घूमती है और मैं पूछता हूँ, "क्या आप सोनू भाई हैं?"
जबाब हां में मिलता है।
कलाह जोत के टॉप पर |
ये 2016 में जालसू जोत की यात्रा में मिले सोनू भाई हैं जिनसे किसी कारणवश फ़ोन नम्बर और पता लेना सम्भव नहीं हुआ था। जिस यात्रा में हर साल औसतन दस लाख लोग जाते हों उसमें किसी बिछड़े का मिलना मात्र एक संयोग नहीं हो सकता। इसे छोटे मोटे चमत्कार की कैटेगरी में रखा जा सकता है।
जेलखड्ड के वाटरफॉल के पास हमारा भरत मिलाप होता है। हरियाणा से आए उनके एक मित्र साथ हैं। उनकी धर्मपत्नी और बहन पहले ही सुखडली पहुंच चुकी हैं। इन सबकी टोली आज सुखडली में ही रुकेगी।
सोनू भाई (बीच में) और उनके मित्र (बाएं) |
सुखडली |
सुखडली में पंचायत सभा चल रही है। रात को रुकने की समस्या पर चिंतन हो रहा है। बंदोबस्त सिर्फ 8-10 लोगों का है लेकिन ठहरने वाले लोग ज़्यादा हैं। दो लोकल औरतें हमारे साथ जोत पार कर के डल तक जाने के लिए तैयार हैं।
सुखडली से जोत तक की कमरतोड़ चढ़ाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरी चढ़ाई में हमने सिर्फ एक फ़ोटो लिया है और उस 1 फ़ोटो को लेने के लिए भी नितिन 50 मिन्नतों के बाद हामी भरता है।
सुखडली से कलाह जोत का दृश्य |
फेफड़ा रिस्टोरेशन प्रोसेस |
जोत पर भयानक धुंध पड़ी है। विज़िबिलिटी मुश्किल से 50 मीटर तक होगी। बारिश किसी भी समय शुरू हो सकती है। इसलिए जोत से कुजा पीक और मणिमहेश कैलाश के दर्शन किए बिना डल की तरफ़ उतरना शुरू करते हैं। सिर्फ़ यही 1 कॉलम है जो इस यात्रा में मार्क करना अधूरा रह गया। फिर कभी ज़रूर...
1 घण्टे बाद डल पर पहुँचते हैं। डल के चारों तरफ़ गन्दगी का भयानक मंजर है। हालात किसी सीरियन रेफ्यूजी कैम्प से भी बदतर हैं। डल पर कुल इतने लोग मौजूद हैं कि पुनर्गठन आयोग बना के सरकार से एक अलग जिला घोषित करने की सिफारिश की जा सकती है।
छोटे और बड़े नहौण के दिन डल पर रुकना महंगा काम है। लोकल दुकानदार चमड़ी उधेड़ने पर उतारू हैं। यहां तक की एक्स्ट्रा कम्बल के बदले कुछेक दुकानदार आपकी जयदाद में हिस्सा तक मांग सकते हैं।
आगे ढूंढने पर 100 रुपए में डील सेट होती है। पर 100 रुपए में कम्बल एक ही मिला है। मेरे पास स्लीपिंग बैग है जिसमें अंदर कम्बल लपेट के मेरा काम चल जाएगा। क्रांतिकारी नितिन टेंट वाले के बाहर जाने पर एक कम्बल उठाने के जुगाड़ में है। उसके बाहर जाते ही नितिन कहीं से कम्बल का इंतजाम करता है। वैसे भी शास्त्रों में हाइपोथर्मिया से बचने के लिए किए गए पाप माफ़ हैं।
जितने लोग हमें पिछले 2 दिनों में नहीं मिले उससे ज़्यादा लोग मणिमहेश डल पर हमारे टेंट में ठूंसे गए हैं। साथ वाले 'कंपार्टमेंट' में हमीरपुर बॉयज की एक टोली रुकी है जिनका रात भर वहाबी इस्लाम के मुद्दे पर सम्मेलन चल रहा है।
मणिमहेश झील |
मैं एक टेंट वाले से पूछता हूँ, "चचा टेंट में रुकने का कितना पैसा लोगे?"
चचा: "एक आदमी का 200 रपैय्या लगेगा।"
मैं (लोकल कार्ड खेलते हुए): "और चम्बा के लोकल लोगों के लिए क्या रेट लगेगा?"
चचा (सिंधी मोड एक्टिवेटिड): नहौण का टाइम है भइया। आज तो मेरे घर के लोगों को भी यही रेट लगेगा।
पिछले 4-5 साल घुमक्कड़ी कर के मेरी बारगेनिंग स्किल्स में कुछ सुधार हुआ है, मुझे ऐसा भ्रम था जो टेंट वाले चाचे ने ऊपर लिखे ऐतिहासिक कथन के साथ चूर चूर कर दिया।
छोटे और बड़े नहौण के दिन डल पर रुकना महंगा काम है। लोकल दुकानदार चमड़ी उधेड़ने पर उतारू हैं। यहां तक की एक्स्ट्रा कम्बल के बदले कुछेक दुकानदार आपकी जयदाद में हिस्सा तक मांग सकते हैं।
आगे ढूंढने पर 100 रुपए में डील सेट होती है। पर 100 रुपए में कम्बल एक ही मिला है। मेरे पास स्लीपिंग बैग है जिसमें अंदर कम्बल लपेट के मेरा काम चल जाएगा। क्रांतिकारी नितिन टेंट वाले के बाहर जाने पर एक कम्बल उठाने के जुगाड़ में है। उसके बाहर जाते ही नितिन कहीं से कम्बल का इंतजाम करता है। वैसे भी शास्त्रों में हाइपोथर्मिया से बचने के लिए किए गए पाप माफ़ हैं।
जितने लोग हमें पिछले 2 दिनों में नहीं मिले उससे ज़्यादा लोग मणिमहेश डल पर हमारे टेंट में ठूंसे गए हैं। साथ वाले 'कंपार्टमेंट' में हमीरपुर बॉयज की एक टोली रुकी है जिनका रात भर वहाबी इस्लाम के मुद्दे पर सम्मेलन चल रहा है।
कोई पंजाब से आया छिन्दा आधी रात को गायब हो गया है जिसको ढूंढने के लिए हर 5 मिनट में अनाउंसमेंट हो रही है।
सुबह एक 'यंग बॉय' बीड़ी में असला भरते हुए मुझसे इन्क्वायरी करता है कि ये जो ट्रैकिंग वाला बैग है इसको खरीदने पर साथ में स्लीपिंग बैग, स्लीपिंग मैट, रेन-कवर भी फ्री मिलता है क्या?
मैं (मन में)- हां। इसके साथ 'Decathlon घर जमाई प्रोत्साहन योजना' के अंतर्गत एक मरसीडीज़, साउथ बम्बई में बंगला और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन भी मिलता है।
मणिमहेश कैलाश |
जोतनू पास (4700 मीटर ) |
इस बार पिछला रिकॉर्ड तोड़ने के मकसद के दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ झील में उतरता हूँ। लेकिन जब 13390 फ़ीट की ऊंचाई पर ग्लेशियर के पानी की झील के छींटे ऊपर पड़ते हैं तो सारी इच्छाशक्ति और प्लानिंग धरी की धरी रह जाती है।
मेरे मणिमहेश स्नान की परफॉर्मेंस और कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर की राजनीति में एक बड़ी विचित्र समानता है। दोनों ही दिन प्रतिदिन नीची गिरती जा रही हैं।
पिछली बार के स्नान का
(नोट- कृपया जज न करें )
पंजाब वाला छिन्दा अभी तक लापता है। सुबह के 10 बजे भी अनाउंसमेंट जारी है। हम गौरीकुंड के लिए उतरना शुरू करते हैं।
एक दोस्त हुआ करते थे सन्दीप ठाकुर। गज़ब आदमी थे। एक सड़क दुर्घटना में दाएं पैर की हड्डी के टूट कर 40 टुकड़े हो गए। यहां तक कि पैर काटने तक की नौबत आ पड़ी। पैर तो कटवाया नहीं बल्कि उसी पैर के साथ 2 बार श्रीखंड महादेव की यात्रा पर निकल गए। उसके बाद हमारे साथ मणिमहेश कैलाश की यात्रा की। उस हालत में भी चाल नहीं घुड़दौड़ हुआ करती थी।
किसी कारणवश तब कमल-कुण्ड जाना नहीं हो पाया। अगली बार साथ में जाने का वादा किया था जो पूरा नहीं हो सका। 2 साल पहले एक दुर्घटना में वो हमारे बीच नहीं रहे। उनसे किया वादा निभाने के मकसद से इस बार कमलकुण्ड जाना हुआ।
रास्ते में शिव करोत्र पड़ता है। दूर से देखने पर बुद्धिस्ट मोनस्ट्रीज के जैसे रंग बिरंगे लाल पीले झण्डे लगे दिखाई देते हैं। पास पहुँचने पर पता चलता है कि जिसे हम झण्डे समझ रहे थे वो कच्छे हैं जो 'सभ्य लोग' स्मृति चिन्ह के रूप में यहीं छोड़ गए हैं।
कमलकुण्ड (समुद्रतल से 13,500 फ़ीट की ऊंचाई ) |
पास ही में एक पंजाबी बॉय खड़ा है जिसका बर्फ देख कर रणबीर कपूर मोड ऑन हो जाता है। वो बार बार बोल रहा है, चलो कार्तिक कुण्ड/ गणेश कुण्ड/ गणेश ग्लेशियर चलते हैं बर्फ खेलेंगे, बर्फ में फोटू लेंगे। जाना कहाँ है ये खुद उसे नहीं पता लेकिन
मैं कहता हूं भाई तुम जा के एन्जॉय करो हम नीचे पहुंच के पुलिस पैट्रॉल पार्टी भेजने का बंदोबस्त करते हैं। हो सकता है दूर से बुलानी पड़े।
सुन्दरासी कैंप साइट |
पहले भोले बाबा का बुलावा आता था। आजकल पहाड़ बुलाते हैं। 'माउंटेन्स आर कॉलिंग एंड आई मस्ट गो' का वायरस निपाह वायरस से 100 गुना खतरनाक है ऐसा मेरा मानना है। त्रिउंड और खीरगंगा की दुर्दशा देख कर इस बात की पुष्टि की जा सकती है। धीरे-धीरे करेरी झील भी इस वायरस की चपेट में आ रही है।
अगर ऐसा ही आलम रहा तो आने वाले समय में नितिन गडकरी के समक्ष हड़सर- गौरीकुंड के लिए 14 लेन पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे की मांग उठानी पड़ सकती है। जिसमें 2 लेन एक्सक्लुसिवली बागी खच्चरों से लात खाए घायल श्रद्धालुओं के लिए होंगे।
बंदर घाटी की चढ़ाई |
भरमौर बाज़ार में एक जीजा और साला आवाज़ लगा रहे हैं, चम्बा के लिए 100 रुपए आ जाओ आ जाओ। कैब 10 सीटर है लेकिन उसमें 14 लोग भरे दिए गए हैं। अभी 2 और को कैसे घुसेड़ के फिट करें उसके लिए विज्ञान के नायाब सिद्धान्त इम्प्लीमेंट किए जा रहे हैं।
रात के 12 बजे राख गांव में ड्राइवर ढाबे के बाहर रॉंग साइड पर गाड़ी लगा के रास्ता ब्लॉक कर के चल देता है। ड्राइवर अपने साले के साथ बियर पीने बैठ गया है जिसे देख के बाकि यात्रियों के प्राण सूख जाते हैं।
हम खाना खा ही रहे होते हैं कि बाहर से एचआरटीसी बस का ड्राइवर आ कर कैब के ड्राइवर की सड़क पर धुनाई करता है। 5 लोग ड्राइवर को पकड़ रहे हैं। साला अपने जीजे को बचाने की कोशिश कर रहा है। बीच सड़क में ड्राइवर का जलूस निकल रहा है और हम तमाशा देख रहे हैं।
ढिस्स परेड खत्म होने के बाद सारे रास्ते उसका साला 25 लोगों को फ़ोन लगा के ड्राइवर को खड़ामुख से आगे ज़िंदा न पहुँचने देने का फ़तवा जारी कर चुका है।
चम्बा पहुंचने पर हम 200 रुपए किराया देते हैं। साला कहता है भाई 200 एक सवारी के हैं। 200 और लगेंगे।
बाद में मैं नितिन से कहता हूं, "यार ये तो ठगी हो गई हमारे साथ। अच्छा हुआ दोनों को मार पड़ी।"
जिस पर नितिन कहता है, "ये एक्स्ट्रा 200 एंटरटेनमेंट टैक्स है भइय्या। एक दम पैसा वसूल।"
उम्मीद है पंजाब के आया छिन्दा सकुशल अपने साथियों को मिल गया होगा।
शानदार प्रदर्शन...
ReplyDeleteधन्यवाद कल्याणा जी। मेरा प्रदर्शन भले ही शानदार रहा हो लेकिन सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का खिताब तो एचआरटीसी के ड्राइवर को की मिलना चाहिए। 😬
Deleteलाजवाब जर्याल साहब इस बार शिंदा गायब हो गया था अगली बार बँटी गायब होगा
ReplyDeleteप्रोफेसर साहब गायब करने वालों में से हैं।
ReplyDeleteWriting skills is too good brother hope you good better in future best of luck
ReplyDeleteNice blog.... Gud luck for ewr future....
ReplyDeleteThank you very much.
DeleteThank you very much!
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