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Jalsu Pass Trek | जालसू जोत यात्रा (2016) | भाग- II

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जालसू जोत यात्रा (2016) | भाग- I  में आपने पढ़ा की कैसे हम भीगते हुए प्रेईं गोठ तक पहुँचते हैं जो आज रात हमारा ठिकाना होगा। अब आगे- हम दोनों को मिला कर डेरे में कुल 5 लोग हैं। बीमार पिताजी, उनकी धर्म पत्नी व एक अन्य मुसाफिर। कुकिंग का जिम्मा अंकल का है जो मिट्टी के तेल के लैंप की रौशनी में रात का खाना बना रहे हैं। आंटी सिर्फ़ मोरल सपोर्ट के लिए मौजूद हैं। चूल्हे के पास बैठ कर 'चाय पर चर्चा' शुरू होती है। मुद्दा है - सूबे की राजनीति। हम दोनों ही गद्दी भाषा समझने में असमर्थ हैं इसलिए सब-टाइटल्स से काम चल रहे हैं। अपने पल्ले सिर्फ इतना पड़ रहा है की तत्कालीन माननीय वन मंत्री जी के काण्ड  किस्से धौलाधार के इस तरफ़ भी उतने ही मशहूर हैं जितने की चम्बा वाली तरफ़।

Jalsu Pass Trek | जालसू जोत यात्रा (2016) | भाग- I

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गर्मी पड़ना शुरू हो गई है। साल की शुरुआत किस ट्रेक से की जाये? इंद्रहार जोत चलते हैं। इंद्रहार? वो भी अप्रैल-मई में? हाँ क्यों नहीं।  बात मार्च 2016 की है। इन दिनों बद्दी में पारा चढ़ना शुरू हो जाता है। साल का आगाज़ कहाँ से किया जाए इस पर मैं और मेरा घुम्मकड़ मित्र नितिन शर्मा कॉलेज में सोच-विचार कर रहे थे। इंद्रहार जोत (4342 मीटर) को पार करने का ख़्वाब नितिन ने उन दिनों से पाल रखा है जब हम पॉलीटेकनिक कॉलेज काँगड़ा में अध्ययनरत थे। एक बार तो जोश जोश में ये बोलते हुए भी सुना था की किसी दिन इंद्रहार पास के टॉप पर साइकिल पहुंचा कर ही दम लूंगा।